Shri Adhya Katyayani Shaktipeeth.

Green Temple

About The Temple

छतरपुर मंदिर का इतिहास – Chhatarpur Temple History

छतरपुर मंदिर दक्षिण दिल्ली में आता है। यह मंदिर देवी कात्यायनी को समर्पित है। इस मंदिर से जुडी एक बहुत अद्भुत और रोचक कहानी है। जिसे जानने के बाद हर कोई आश्चर्यचकित हो जाता है।

उस पौराणिक कहानी के अनुसार एक बार एक ऋषि ने दुर्गा देवी की कठोर तपस्या की थी। उस ऋषि का नाम कात्यायन ऋषि था। उस ऋषि की कठोर तपस्या को देखकर दुर्गा देवी प्रसन्न हुई और उस ऋषि के सामने प्रकट हुई। देवी ने उस ऋषि की तपस्या से प्रसन्न होकर कहा की जो भी वरदान चाहते हो वो अवश्य मांगो।

उसके बाद कात्यायन ऋषि ने देवी से कहा की आप मेरे घर में मेरी पुत्री बनकर जन्म लो। मुझे आपका पिता बनने की इच्छा है। ऋषि के यह शब्द सुनकर देवी प्रसन्न हुई और उसे इच्छा अनुरूप वरदान दे दिया।

देवी ने फिर ऋषि के घर में कात्यायन पुत्री के रूप में जन्म लिया और तभी से देवी के उस अवतार को कात्यायनी देवी अवतार कहा जाता है।

इसीलिए दिल्ली के इस मंदिर को कात्यायनी देवी का छतरपुर मंदिर कहा जाता है। यह मंदिर दिल्ली के दक्षिण पश्चिम के हिस्से में आता है और यह क़ुतुब मीनार से केवल 4 किमी की दुरी पर है।

इस मंदिर की स्थापना बाबा संत नागपाल ने सन 1974 में की थी। उनकी मृत्यु 1998 में हो गयी।

इस मंदिर परिसर में देवी कात्यायनी का मंदिर साल में दो बार नवरात्री के मौके पर ही खोला जाता है। क्यों की उस वक्त हजारों भक्त देवी के दर्शन हेतु यहापर बड़ी दुर से आते है।

यहापर के एक कमरे में चांदी से बनी हुई खुरसिया और टेबल है तो दुसरे कमरे में जिसे शयन कक्ष भी कहा जाता है, उसमे बिस्तर, ड्रेसिंग टेबल और चांदी से नक्काशी किये हुए टेबल दिखाई देते है।

यह मंदिर जब कोई बड़ा सत्संग आयोजित किया है तभी खोला जाता है जैसे की कोई धार्मिक कार्यक्रम और भजन का आयोजन किया जाता है।

इस मंदिर के प्रवेश द्वार पर ही एक पुराना पेड़ है और इस पेड़ पर पवित्र धागे बांधे जाते है। अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए लोग इस पेड़ को धागे और चुडिया बांधते है।

लोग इस विश्वास के साथ इस पेड़ को धागे बांधते है की उनकी हर व्यक्त की गयी इच्छा पूरी हो जाए। नवरात्री उत्सव के दौरान हजारों भक्त देवी के दर्शन करने के लिए आते रहते है। कम शब्दों में कहा जाए तो भारत की धार्मिक विरासत को दर्शाने वाला छतरपुर का मंदिर काफी महत्वपूर्ण मंदिर है।

यहाँ के शिव मंदिर, राम मंदिर, माँ कात्यायनी मंदिर, माँ महिषासुरमर्दिनी मंदिर, माँ अष्टभुजी मंदिर, झर्पीर मंदिर, मार्कंडेय मंदिर, बाबा की समाधी, नागेश्वर मंदिर, त्रिशूल, 101 फीट की हनुमान मूर्ति भक्तों के विशेष आकर्षण का मुख्य केंद्र है।

इन मंदिरों के अलावा भी यहापर एक बहुत बड़ी ईमारत बनाई गयी है जिसमे हर दिन भंडारा का आयोजन किया जाता है। लगभग पुरे 24 घंटे यहापर कुछ ना कुछ धार्मिक प्रार्थनाये की जाती है।

नवरात्री, महाशिवरात्रि और जन्माष्टमी के दौरान तो मंदिर में हजारों भक्तों की भीड़ लगी रहती है। इस अवसर पर लाखों भक्त देवी के दर्शन के लिए आते है, जिसकी वजह से यहाँ का नजारा काफी देखनेलायक होता है।

नवरात्री के दिनों में यहापर लाखों लोगो को लंगर का प्रसाद बाटा जाता है, यह दृश्य देखनेवालो का अपनी आँखों पे विश्वास ही नहीं होता क्यों की यह दृश्य देखने में काफी सुन्दर होता है।

छतरपुर मंदिर की वास्तुकला – Chhatarpur Mandir Architecture

वास्तुकला की दृष्टि से छतरपुर का मंदिर एक अद्भुत मंदिर है क्यों की इस मंदिर के पत्थर कविताये दर्शाते है।

2005 में दिल्ली में अक्षरधाम मंदिर बनने से पहले यह छतरपुर मंदिर भारत का सबसे बड़ा और दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मंदिर हुआ करता था।

इस मंदिर को पूरी तरह से संगेमरमर से बनाया गया था और मंदिर के सभी जगहों पर जाली से काम करवाया गया था। इस तरह की वास्तुकला को वेसारा वास्तुकला कहा जाता है।

बहुत बड़े जमीन पर फैले हुए इस मंदिर की सारी इमारते विभिन्न तरह के वस्तुओ से बनी है। इस मंदिर के परिसर में कई सारे सुन्दर बाग और लॉन बनाये गए है जिन्हें देखकर किसी भी भक्त के मन को शांति मिलती है।

मंदिर में किये गए नक्काशी का काम सच में काफी प्रशंसनीय है। मंदिर के बड़े आकार की वजह से यहाँ का परिसर काफी अच्छा दीखता है।

देवी कात्यायनी की मूर्ति एक बडेसे से भवन में स्थापित की गयी है और इस भवन में प्रार्थना के हॉल से भी प्रवेश किया जा सकता है। सोने के मुलामे से बने हुई देवी कात्यायनी की मूर्ति हमेशा भव्य कपडे, सोने और सुन्दर फूलो के हार से अलंकृत की जाती है। नवरात्रि के दिनों में तो यहाँ पर हजारों भक्तों की भीड़ लगी रहती है।

इतनी बड़ी भक्तों की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए उन्हें साप की कतार में खड़ा किया जाता है। इन लम्बी लम्बी कतारों को नियंत्रित करने के लिए बहुत सारे सुरक्षा रक्षक तैनात किये जाते है।

छतरपुर मंदिर तक कैसे पंहुचा जा सकता है? – How to Reach Chattarpur Mandir

देश की राजधानी दिल्ली के इस छतरपुर मंदिर में पहुचने के लिए पुरे देश से सुविधा उपलब्ध है।

सबसे करीबी स्टेशन: निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन

यहा का सबसे नजदीक हवाई अड्डा इंदिरा गांधी अन्तर्राष्ट्रीय हवाईअड्डा।

दिल्ली के छतरपुर मंदिर की कई सारी विशेषताए है। इस मंदिर की सबसे खास बात यह है की इस मंदिर में कोई अगर एक बार प्रवेश कर ले तो फिर वो मंदिर में चारो ओर घूमता ही रह जाता है। उसे मालूम ही नहीं पड़ता की कहा से मंदिर की शुरुवात है और कहा पर मंदिर से बाहर निकलने का रास्ता है।

क्यों की इस मंदिर को बनाया ही है कुछ इस तरीके से की किसी भी दिशा में जाने के बाद मंदिर का अंतिम छोर नजर ही नहीं आता। ऐसा लगता है की हर दिशा में अन्दर जाने का रास्ता दिखता है और बाहर जाने का कोई नामोनिशान मिलता ही नहीं।

इस मंदिर की दूसरी विशेषता यह है की मंदिर के प्रवेशद्वार पर एक बहुत ही पुराना और काफी बड़ा पेड़ है। लोगो की ऐसी श्रद्धा है की इस पेड़ को धागा या चुडिया बांधने से भक्त की इच्छा अवश्य पूरी हो जाती है। इसीलिए इस पेड़ के चारो ओर धागे और चुडिया बंधी हुई नजर आती है।

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President Name: Peeyush 9812523625
Vice President Name: Shreekant 9999131155
Chairman Name: Dev 9812552541
Secretary Name: varun 9846014512
General Secretary Name: naveen 9815125263
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