Sanatan Dharam Pratinidhi Sabha

प्रस्तावना श्री सनातन धर्म विश्व का प्राचीनतम धर्म है । अतः अनादि काल से निरन्तर प्रवाहित है। यह भी सत्य है कि सनातन धर्म किसी व्यक्ति ने नहीं बनाया इस धर्म का आधार स्वय परमसत्ता है सुष्टि के साथ वेदो का प्रधुभार्व हुआ इन्ही वेदों से वैदिक सनातन धर्म प्रतिपादित है इसे किसी काल की सीमा से नहीं जोड़ा जा सकता है । कालक्रम से धर्म की मान्यता मे अनेक प्रकार की विकृतियाँ आ गई जिससे हिन्दू दिग्भ्रमित हो गया । वैदिक सनातन धर्म के नाम पर अनेक मनीषियों ने इन विकृतियाँ के प्रति समाज को सचेत किया किन्तु लोभ लालच मे पड़कर इन विकृतियाँ से कुछ लोग लाभ उठाना चाहते है । इसी क्रम मे सनातन धर्म विरोधी देसी-विदेशी शक्तियाँ हमारी सभ्यता संस्कृति और धर्म को प्रयत्नपूर्वक कलंकित कर रही है । ,

सभा का उद्देश्य

१. दिल्ली के समस्त सनातन धर्म मंदिरों को संगठित निर्देश देना ।

२. सनातन धर्म की शास्त्रीय मर्यादाओं का सरंक्षण एवं संवर्धन करना ।

३. सनातन धर्म पर प्रहार करने वालों को समुचित उत्तर देते हुए सनातन धर्म के अनुकूल जनमानस को तैयार करना ।

४. धार्मिक शिक्षा का प्रचार—प्रसार करना ।

५. शास्त्रीय परम्परा के अनुरूप धर्मप्रचारक के रूप मे आर्चकों को प्रशिक्षित करना ।

६. शास्त्र मर्यादानुकूल कर्मकाण्डी विध्दानों को तथा उपदेशकों को प्रशिक्षित करना ।

७. योग साधना एवम धार्मिक शिक्षा आधारित वाल व्यक्तिव विकास करना ।

८. सनातन धर्म से सम्बन्धित व्रत—पर्व त्योहारों को शास्त्रीय पद्धति से व्यक्तिगत एवं समूहिक रूप से आयोजित करना ।

९. दिल्ली प्रदेश की सनातन धर्म सभाओं को एक सूत्र में बाँधकर संगठित करना तथा उसे एक प्रभावी मंच प्रदान करना ।

१०. भारतीय संस्कृति की रक्षा एवं प्रसार हेतु समान विचारों वाली संस्थाओं से तालमेल रखना ।

११. सनातनधर्म की शास्त्रीय मर्यादाओं एवं परम्पराओं का संरक्षण एवं प्रचार करना ।

१२. सनातनधर्म पर आधात करने वाले कर्यों का विरोध करना तथा जन मानस को तैयार करना ।

१३. प्राकृतिक आपदाओं में सहायता कार्य करना ।

१४. धार्मिक शिक्षा का प्रचार-प्रसार करना ।

१५. सनातन परम्परा के अनुसार अर्चक तथा कर्मकाण्डी विदूानों के प्रशिक्षण की ववशता करना ।

१६. सनातन धर्म से संबंधित पर्वों एवं त्यौहार में एकरूपता लाना तथा प्रभावी ढंग से आयोजित करके दिशा निर्देश देना ।

१७. व्रतोत्त्सव पर्व दीपिका पुस्तिका का प्रकाशन करना ।

१८. क्षेत्रोंका संगठन, क्षेत्रीय समितियों का निर्माण एवं उनके सक्रियता लाना ।

१९. सनातन धर्म मंदिर के हितों की सुरक्षा का प्रबन्धन ।

२०. केंद्रीय एवं क्षेत्रीय स्तरों पर धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन ।

२१. सनातन धर्म के मंदिरों में पूजा अर्चना की विधि एवं समय में एकरूपता लाना ।

२२. समय-समय पर सनातन धर्म-उपयोगी सामग्री प्रकाशित करना ।

२३. सभाओं एवं मन्दिरों का एक डेटा बैंक को तैयार करना तथा कथा वाचक/प्रवचनकर्ता/धर्मप्रचारक एवं अर्चकों की व्यवस्था करना ।

२४. तीर्थों एवं धार्मिक यात्राओं की व्यवस्था करना ।

२५. किशोरों एवं युवकों में अच्छे संस्कार हेतु कार्यक्रम आयोजित करना – विशेषकर योग, गीता रामायण की शिक्षा ।

२६. गौरक्षा एवं पंच ग्रन्थ का प्रचार हेतु सम्मेलन आयोजन करना ।

२७. मातृ शक्ति को संगठित करने हेतु सम्मेलन आयोजित करना ।

२८. विदेशों में बेस प्रवासी हिन्दुओं से सम्पर्क कर वहां के श्री सनातन धर्म मन्दिरों को जोड़ना-तथा भारत भर्मण-तीर्थ दर्शन का प्रबन्ध करना ।

YouTube
Need Any Help
Follow over this link